सीसीटीएनएस (Crime and Criminal Tracking Network & Systems) का परिचय
सीसीटीएनएस का पूरा नाम क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एण्ड सिस्टमस् (अपराध एवं आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क एवं प्रणाली) हैं । यह योजना भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 में लायी गयी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सीपा प्रोजेक्ट की कमियों को दूर करना है । इस योजना के अन्तर्गत पूरे देश के सभी थानों (लगभग चैदह हजार के ऊपर), वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय (क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, परिक्षेत्रीय कार्यालय, पुलिस महानिदेशक मुख्यालय), पुलिस नियंत्रण कक्ष, अन्य जाँच एजेंसियाों जैसे अपराध शाखा आपराधिक जाँच विभाग (सीबीसीआईडी), आर्थिक अपराध विंग (ईओडब्ल्यू) को कम्प्यूटराइज कर नेटवर्किग के माध्यम से आपस में जोड़ने की व्यवस्था है ।
इस योजना में सिटीजन इन्टरफेस (नागरिक इंटरफेस) देने का भी प्रावधान है । इस योजना के लागू होने के पश्चात आम जनता घर से ही अपनी शिकायत कम्प्यूटर पर इंटरनेट के माध्यम से दर्ज करा सकेगी । प्रत्येक दर्ज शिकायत के लिए शिकायतकर्ता को एक यूनीक कोड (रेलवे पीएनआर की तरह) प्रदान किया जायेगा। उस कोड के माध्यम से वह अपनी शिकायत पर हुई कार्यवाही अथवा जाॅच की प्रगति को समय-समय पर देख सकता है। इसके अतिरिक्त इस योजना में चरित्र सत्यापन, शस्त्र लाइसेंस, धरना प्रदर्शन की अनुमति के लिए आवेदन करने की आन-लाइन व्यवस्था है । इन कार्यो के लिए आम जनता को थाने पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इस योजना में डेटा फीडिंग थाने स्तर पर होगी एवं शिकायतकर्ता को प्रथम जाँच रिपोर्ट (एफआईआर) की कम्प्यूटरीकृत प्रतिलिपि दी जायेगी।
थानों के विभिन्न रजिस्टर/रिपोर्ट कम्प्यूटर द्वारा अपने आप बन जायेंगे । इस परियोजना के अन्तर्गत समस्त भारत की पुलिस एजेंसियों का एक वृहद नेटवर्क तैयार कर कम्प्यूटरीकृत साफ्टवेयर के माध्यम से सूचनाओं को वृहद डाटाबेस में एकत्र कर शेयर करने की योजना है । थाने के स्तर से पुलिस अधिकारियों तक नेटवर्किंग व इंटरनेट की सुविधा प्रदान की जायेगी। सीसीटीएनएस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एन सी आर बी), नई दिल्ली को नोडल एजेन्सी बनाया गया है, जो विप्रो कम्पनी के माध्यम से एक साफ्टवेयर (कोर एप्लीकेशन साफ्टवेयर) विकसित करा रहा है । इस साफ्टवेयर का उत्तर प्रदेश के 3 जनपदों (गौतमबुद्धनगर, लखनऊ एवं वाराणसी) में प्रायोगिक परिक्षण (पायलेट टेस्टिंग) किया जा रही है । इस टेस्टिंग के सफल होने के उपरान्त यह साफ्टवेयर सभी प्रदेशों में उपलब्ध कराया जायेगा। प्रदेशों को अपनीं आवश्यकताओं के अनुसार इस साफ्टवेयर में नये माडल्स जोड़ने की छूट दी गयी है । सीसीटीएनएस योजना की प्लानिंग केन्द्रीय स्तर पर गृह मंत्रालय एवं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो में की जा रही है किन्तु इस प्रोजेक्ट को लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों को दी गयी है । उत्तर प्रदेश में इस योजना को लागू करने के लिए तकनीकी सेवायें मुख्यालय, लखनऊ को नोडल एजेन्सी बनाया गया है ।
इस योजना के अन्तर्गत निम्न कार्य किये जा रहे हैंः-
1. थानों एवं उच्चाधिकारियों के कार्यालयों में कम्प्यूटर एवं सहवर्ती उपकरणों की सम्पूर्ति ।
2. सभी कम्प्यूटरों को नेटवर्किंग से जोड़ा गया है।
3. सभी थानों पर एक-एक जनरेटर की व्यवस्था की गई है।
4. पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
5. पिछले 10 वर्ष के अभिलेखों को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है।
6. केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराये गये साफ्टवेयर को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार कस्टमाइज कराना एवं नये माड्यूल्स को जोडा गया है।
7. बदलाव प्रबंधन हेतु कार्यशाला आयोजित करना।
सीसीटीएनएस परियोजना से लाभ
पुलिस विभाग को लाभ
मैनअुल कार्य में कमी।
डुप्लीकेट कार्य की आवश्यकता नहीं होगी। थानों के रजिस्टर स्वतः बन जायेंगे।
कोई भी रिपोर्ट तत्काल निकाली जा सकती है।
देश के किसी भी क्षेत्र के अपराध एवं अपराधियों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है जिससे
अपराध नियंत्रण एवं विवेचना में लाभ होगा।
उच्चाधिकारी थानों की एवं विवेचनाओं की आॅन-लाइन निगरानी कर सकेगे।
पुलिस विभाग में पारदर्शिता आयेगी।
आम-जनता काे लाभ
घर से ही शिकायत दर्ज करने की सुविधा।
अपराध एवं अपराधियों के बारे में गोपनीय सूचनायें कम्प्यूटर के माध्यम से ही दी जा सकेगी।
चरित्र सत्यापन, नौकरों का सत्यापन, किरायेदारों का सत्यापन, शस्त्र लाइसेंस आदि का आवेदन कम्प्यूटर/इंटरनेट के माध्यम से किया जा सकता है। इसके लिए आम जनता को थाने पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
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