साइबर क्राइम: टाइप,फैक्ट, और साइबर लॉ
साइबर क्राइम क्या है...
Cybercrime Meaning in Hindi
साइबर क्राइम्स किसी भी क्राइम्स जैसा ही है, लेकिन इसमें कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल होता है।कुछ मामलों में, कंप्यूटर को क्राइम करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, और अन्य मामलों में, कंप्यूटर क्राइम्स का लक्ष्य हो सकता है।इसमें ऑनलाइन बैंक अकाउंट से लाखों रूपये चोरी करने से लेकर अवैध म्यूजिक फ़ाइलों को डाउनलोड करने तक सब कुछ भी शामिल है।साइबर क्राइम में बिना पैसे के लेन-देन के क्राइम भी शामिल होते हैं, जैसे कि अन्य कंप्यूटरों पर वायरस फैलाने या इंटरनेट पर किसी बिजनेस की प्राइवेट इनफॉर्मेशन को पोस्ट करना।
साइबर क्रिमिनल्स आपकी पर्सनल इनफॉर्मेशन को एक्सेस करने, बिनजेस ट्रेड के सिक्रेट जानने या अन्य दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए इंटरनेट का उपयोग करने के लिए कंप्यूटर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सकते हैं।क्रिमिनल्स जो इस तरह की गैरकानूनी एक्टिविटीज को करते हैं, उन्हे अक्सर हैकर्स कहा जाता है।
साइबर क्राइम के प्रकार:
साइबर क्राइम करने के सैकडो तरीके हैं, जिसमें साइबर अपराध की व्याख्या की जा सकती है, और आपको यह जानना होगा कि वे क्या हैं
1) Hacking: हैकिंग:
सरल शब्दों में, हैकिंग एक ऐसा कार्य है जिसमें एक हैकर्स आपकी अनुमति के बिना आपके कप्यूटर या सर्वर को एक्सेस करता हैं। हैकर्स (जो लोग ‘हैकिंग’ करते हैं) मूल रूप से कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं, जिन्हें कंप्यूटर की एडवांस समझ होती है और आमतौर पर कई कारणों से इस नॉलेज का दुरुपयोग करते हैं। उनके पास विशेष सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या लैग्वेज में आम तौर पर एक्सपर्ट-लेवल की स्कील होती हैं। हैकिंग के पिछे इरादें तो कई हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम हैं – लालच, प्रसिद्धि, पॉवर आदि।
2) Theft of FTP Passwords: एफ़टीपी पासवर्ड की चोरी:
यह वेब साइटों के साथ छेड़छाड़ करने का एक और आम तरीका है। एफ़टीपी पासवर्ड हैकर्स इस बात का फायदा उठाते कि कई वेबमास्टर्स अपनी लॉगइन इनफॉर्मेशन को अच्छी तरह से प्रोटेक्ट न किए गए पीसी पर स्टोर करते हैं। हैकर्स एफ़टीपी लॉगिन डिटेल्स के लिए विक्टिम के सिस्टम को सर्च करता है, और फिर उन्हें अपने रिमोट कंप्यूटर पर भेजता है। वह फिर अपने रिमोट पीसी के माध्यम से वेब साइट पर लॉग ऑन करता है और वेब पेजेसे को जैसे चाहे मॉडिफाइ करता हैं।
3) Virus dissemination: वायरस प्रसार:
कंप्यूटर वायरस एक प्रोग्राम हैं जो किसी सिस्टम या फाइल को इन्फेक्ट करते हैं। इनमें नेटवर्क दवारा अन्य कंप्यूटरों पर प्रसारित होने की प्रवृत्ति होती है। वे कंप्यूटर ऑपरेशन को बाधित करते हैं और स्टोर डेटा को प्रभावित करते हैं – या तो इसे मॉडिफाइ करते हैं या इसे पूरी तरह से डिलीट करते हैं। वायरस के विपरीत ” Worms” को एक होस्ट की जरूरत नहीं होती। वे तब तक रेप्लिकेट होते रहते हैं, जब तब वे सिस्टम में उपलब्ध सभी मेमोरी को खा नहीं लेते।
कंप्यूटर वायरस आमतौर पर रिमूवेबल मीडिया या इंटरनेट के माध्यम से स्प्रेड होते है। एक फ्लैश ड्राइव, सीडी-रॉम, मैग्नेटिक टेप या अन्य स्टोरेज डिवाइस जो कि पहले से वायरस से इन्फेक्टेड हैं। इसके साथ ही ईमेल अटैचमेंट, वेबसाइट्स या इन्फेक्टेड सॉफ़्टवेयर से भी वायरस आने का खतरा बना रहता हैं। जब एक पीसी पर वायरस आ जाता हैं, तब वह नेटवर्क दवारा सभी पीसी पर स्प्रेड होता हैं। सभी कंप्यूटर वायरस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष इकोनॉमिकल डैमेज के कारण होते हैं।
इसके आधार पर, वायरस की दो कैटेगरीज बनाई गई हैं:
1) जो कि केवल स्प्रेड होते हैं और जानबूझकर नुकसान का कारण नहीं बनते हैं
2) जिन्हे नुकसान का कारण बनने के लिए प्रोग्राम किया जाता हैं।
आपको अपने पीसी की सिक्योरिटी के लिए सर्वश्रेष्ठ एंटी- स्पाइवेयर और मैलवेयर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना चाहिए।
4) Logic bombs: लॉजिक बम:
एक लॉजिक बम, जिसे “slag code” भी कहा जाता है, यह मालिसियस कोड होता है, जिसे एक विशेष इवेंट द्वारा ट्रिगर किए जाने पर मालिसियस टास्क् को एक्सिक्यूट करने के लिए सॉफ़्टवेयर में जानबूझकर डाला जाता है। यह वायरस नहीं है, फिर भी यह आमतौर वायरस के जैसे ही व्यवहार करता है। यह किसी प्रोग्राम में चुपके से डाला जाता है और यह तब तक निष्क्रिय रहाता हैं, जब तक विशिष्ट कंडीशन नहीं आ जाती। विशिष्ट कंडीशन में वे एक्टिवेट हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए, कुख्यात “Friday the 13th” वायरस केवल विशिष्ट तारिख पर हमला करता था; यह जिस महिने की 13 तारीख को शुक्रवार आता था उसी दिन हमला करता था और सिस्टम को स्लो कर देता था।
5) Phishing: फ़िशिंग:
फ़िशिंग को आमतौर पर ईमेल स्पूफिंग द्वारा किया जाता है। यह ईमेल आपके बैक से आए हैं ऐसा प्रतित होता हैं लेकिन असल में वे नकली होते हैं। इनमें शामिल लिंक पर क्लिक कर यूजर को नकली वेबसाइट पर ले जाया जाता हैं। यहां पर वे अपनी जो भी इनफॉर्मेशन भरते हैं वह हैकर्स तक जाती हैं। ई-मेल में शामिल किसी भी लिंक को क्लिक करने से पहले वह सेफ हैं या नहीं यह जरूर चेक कर ले।
Cyber Law in India : साइबर लॉ भारत में:
‘Information Technology Act, 2000’ के सेक्शन 65, 66, 66B, 66C, 66D, 66E, 66F, 67, 67A, 67B, 67C, 68, 69, 70 और सेक्शन 71 तक अलग अलग क्राइम के लिए ₹20,000 से ₹1,000,000 तक का जुर्माना और तीन से पांच साल तक कैद का प्रावधान हैं।
This is one of the best blog to learn computer specially for Police Personals....
ReplyDeleteThan you so much...
DeleteThanku sir for your great work
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